HomeNEWSब्लैक बॉक्स का आविष्कार किसने किया था?

ब्लैक बॉक्स का आविष्कार किसने किया था?

ब्लैक बॉक्स का आविष्कार किसने किया था?

महान उपलब्धि है ब्लैक बॉक्स

दोस्तों या तो आपने खुद विचार किया होगा या फिर किसी ने आप से पूछा होगा कि जब भी दुनिया के किसी कोने में विमान हादसा हो जाता है तो सबसे पहले यही प्रयास क्यों किया जाता है कि ब्लैक बॉक्स को सबसे पहले सुरक्षित रखने की बात क्यों की जाती है ?
लेकिन यदि इस विषय मे आपने किसी से या आप से किसी ने नही भी पूछा तो भी आपके मन में यह जिज्ञासा जरूर होगी कि आखिर ब्लैक बॉक्स की हकीकत क्या है
दोस्तों आप निश्चित रहें आप को आज यह जानकारी मैं अपनी अगली पंक्तियों मे ही देने वाला हूं कुछ इस तरह,,,,

ब्लैक बॉक्स और डेविड वारेन

जी हां दोस्तों आज जिस ब्लैक बॉक्स की हम यहां चर्चा कर रहे हैं उसका आविष्कार आस्ट्रेलिया के महान साइंटिस्ट डेविड वारेन ने सन 1950 के दशक में किया था ।वारेन मेलबोर्न के एरोनाटिकल रिसर्च लेबोरेट्रीज में काम करते थे ।संयोग से उसी समय पहला जेट आधारित कामर्शियल एयरक्राफ्ट “कामैट” दुर्घटना ग्रस्त हो गया था ।वारेन दुर्घटना की जांच करने वाली टीम में शामिल थे ।
तभी उनके मन में एक ख्याल आया कि क्यों न कोई ऐसा यंत्र हो जो विमान हादसे के बाद काफी समय तक दुर्घटना के कारणों को सहेज कर रखे ।।
सच कहें तो ब्लैक बॉक्स अर्थात फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर के निर्माण का कार्य तभी प्रारंभ हुआ था ।इसके बाद वह दिन भी आया जब आस्ट्रेलिया को विश्व में प्रथम बार कामर्शियल एयरक्राफ्ट में ब्लैक बॉक्स या फिर फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर लगाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
और इस तरह दुनिया में ब्लैक बॉक्स का जन्म हो गया

ब्लैक बॉक्स वास्तव में क्या है?

किसी विमान हादसे की वजह का पता लगाने में दो डिवाइस बेहद महत्वपूर्ण होते हैं ।एक है एफडीआर यानी फ्लाइट डाटा रिकार्डर और दूसरा है सीवीआर यानी कॉकपिट वाइस रिकार्डर ।इसे ही ब्लैक बॉक्स कहा जाता है ।एक में कॉकपिट के अंदर की बातचीत रिकॉर्ड होती है तो दूसरी डिवाइस या सीवीआर में विमान से जुड़े आंकड़े जुटाए जाते हैं ।
ब्लैक बॉक्स का एक रोचक तथ्य यह है कि इसका रंग काला नही होता बल्कि इसका रंग नारंगी होता है ।ब्लैक बॉक्स में पानी और आग का कोई असर नहीं होता ।और तो और 20 हजार फुट दूर से इसका पता लगाया जा सकता है ।यद्यपि ब्लैक बाक्स की बैट्री केवल तीस दिन तक चलती है लेकिन इसके डाटा को सालों-साल रखा जा सकता है।

ब्लैक बॉक्स कुछ खास

ब्लैक बॉक्स को विमान मे पिछले हिस्से में लगाया जाता है ।क्यों कि यह दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना की स्थिति में यहां सबसे ज्यादा सुरक्षित होता है ।ब्लैक बॉक्स को कई महत्वपूर्ण टेस्ट से गुजरना पड़ता है ।उदाहरण के तौर पर ब्लैक बॉक्स रिकार्डर L3FA2100 ग्यारह सौ डिग्री सेल्सियस फायर में कई घंटे और 260 डिग्री सेल्सियस हीट में 10 घंटे तक रह सकता है ।
इतना ही नहीं यह माइनस 55से 70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी बिना किसी रुकावट के काम करता है ।1960 में आस्ट्रेलिया पहला ऐसा देश था जहां विमानों में ब्लैक बॉक्स लगाना सख्त अनिवार्य था ।जहां तक बात भारत की है तो यहां नागर विमानन महानिदेशालय के नियमों के अनुसार 1जनवरी 2005 से सभी विमानों और हेलीकॉप्टरों में FDR तथा CVC का लगाया जाना अनिवार्य किया गया था ।

दुर्घटना के बाद
ब्लैक बॉक्स की प्राप्ति

हादसे के बाद जब विमान का ब्लैक बॉक्स मिल जाता है तो विशेषज्ञ उसे सीधा लैब ले जाते हैं।इसके बाद हादसे के कारणों की सूक्ष्म जांच की जाती है ।जिन यंत्रों इसमे महत्वपूर्ण भूमिका होती है उनमें प्रमुख हैं टावेड पिंगर लोकेटर25और ब्ल्यूफिन21 ।लोकेटर25 सिग्नल को 6000 मीटर तक की गहराई से ढूंढ लेता है तो वहीं ब्ल्यूफिन21 4500 मीटर की गहराई से ब्लैक बॉक्स को ढूंढ कर लाता है ।ध्यान रहे ब्ल्यूफिन21 को अंडर वाटर ड्रोन भी कहा जाता है ।

ब्लैक बॉक्स कुछ खास

ब्लैक बॉक्स में दुर्घटना से 25 घंटे पहले तक का रिकॉर्ड होता है
ब्लैक बॉक्स में अंडर वाटर लोकेटिअंग डिवाइस होती है जो 14000 फीट नीचे से सिग्नल भेज सकती है
ब्लैक बॉक्स को धातु के चार लेयर या परत में रखा जाता है
ब्लैक बाक्स की चार लेयर इस प्रकार होती हैं
एल्युमीनियम,सूखा बालू,स्टेनलेस स्टील और सबसे बाद मे टाइटेनियम ।
ब्लैक बॉक्स कॉकपिट के अंदर होने वाली सभी बातचीत,रेडियो कम्युनिकेशन, उड़ान का विवरण जैसे स्पीड, इंजन की स्थिति, हवा की गति, विमान की उंचाई, रडार की स्थिति आदि को रिकॉर्ड करता है ।

धन्यवाद
लेखक :के पी सिंह
13022018

RELATED ARTICLES

6 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

Archives