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सरकार ने सर्प दंश से होने वाली मौतों को प्राकृतिक आपदा की सूची में दर्ज किया है।

सर्प दंशः जिम्मेदारों ने फाइलों में दफन कर दीं ’मदद की उम्मीदें’-सर्पदंश से मौत को प्राकृतिक आपदा मानती है सरकार-इलाज और मुआवजे को लेकर हैं विशेष प्रावधान मथुरा। बरसात का मौसम दस्तक दे चुका है। वर्षा ऋतु में सर्पदंश की घटनाएं बढ जाती हैं। सरकार ने सर्प दंश से होने वाली मौतों को प्राकृतिक आपदा की सूची में दर्ज किया है। सर्पदंश के मरीजों के इलाज और मौत पर मुआवजे के विशेष प्रावधान हैं। ग्रामीण इलाकों में इस तरह की घटनाएं अधिक होती हैं। हालांकि अभी भी ग्रामीण इलाकों में अधिकांश लोग इस बात से अनजान हैं कि सर्पदंश का इलाज अस्पताल में भी होता हैं। इलाज और मौत पर मुआवजे जैसी जानकारियां तो इन्हें छूके भी नहीं गुजरीं। इसके लिए ग्रामीणों से ज्यादा वह सिस्टम जिम्मेदार है जिन्हें इन योजनाओं का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उत्तर प्रदेश विधान परिषद की दैवीय आपदा प्रबंधन जांच समिति के सभापति उमेश द्विवेदी की अध्यक्षता में तथा सदस्य मानवेंद्र प्रताप सिंह व सुरेन्द्र चौधरी की उपस्थिति में कलेक्ट्रेट सभागार में संबंधित विभागों के कार्यों की समीक्षा बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह, एसएसपी शैलेश कुमार पांडेय, नगर आयुक्त शशांक चौधरी भी मौजूद रहे।2021 से अब तक हुईं 18 मौत बैठक में सभापति द्वारा जनपद में सर्पदंश से हुई जनहानि के बारे में जानकारी ली गई जिसमें बताया गया कि वर्ष 2021 से अब तक तहसील सदर में पांच, महावन में शून्य, मांट में चार, छाता में पांच तथा गोवर्धन में चार कुल 18 जनहानि सर्पदंश से हुई तथा कुल 72 लाख रुपए की सहायता धनराशि प्रदान की गई। सरकारी आंकड़ों की अपेक्षा जनपद में सर्पदंश से हुई मौतों की संख्या कहीं अधिक है। मथुरा में कई जगह हर साल लगते हैं वायगीरों के मेलभाद्र मास में बलदेव छट पर मथुरा जनपद में कई स्थानों पर वायगीरों के मेला लगते हैं। इस दौरान बडी संख्या में वायगरी इन मेला में पहुंचे हैं और भारी तादाद में संर्प दंश और विषवेल के पीड़ित भी जुटते हैं। इसके अलावा आधा दर्जन गांव जनपद में सर्प दंश के इलाज के लिए मशहूर हैं। वर्ष भर में इन गांवों में पहुंचने वाले सर्प दंश के मरीजों का आंकड़ा आपको चौंका देगा।समिति ने ये दिये निर्देशसभापति ने सर्पदंश से हुई मृत्यु की सूचना पुलिस विभाग को उपलब्ध कराने, सभी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम व सहायता राशि प्राप्त करने की जानकारी का बोर्ड लगाने, बाढ़ राहत केंद्रों के स्थाई निर्माण आदि करने के निर्देश दिए। उन्होंने मुख्य चिकित्साधिकारी को सर्पदंश पर मृत्यु होने पर मिलने वाली सहायता धनराशि एवं क्लेम लेने की प्रक्रिया का अधिकाधिक प्रचार प्रसार करने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि जनपद में डॉक्टरों का समायोजन सही प्रकार से किया जाए।

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