बन्टी धनगर (RPRNEWSTV)- आधुनिक युग में वैसे तो डिजिटलाइजेशन पारदर्शिता व वाबदेही सुनिश्चित करती है इसी क्रम मे सरकारे बायोमेट्रिक हाजिरी का प्रावधान कर रही है जो की एक सराहनीय पहल है।
परंतु जब इस प्रकार की नीति सिर्फ कुछ चुनिंदा विभागों लागू होती है और बाकी पर नहीं तो ऐसे विभाग अपने आप को ठगा महसूस करते हैं और इस प्रकार *भेदभाव की मानसिकता से लागू की गई नीति का सदुपयोग कम शोषण ज्यादा प्रतीत होता है* । जिसके परिणाम स्वरूप संबंधित विभाग की कार्यशैली, दक्षता एवं क्षमता प्रभावित होने लगती है और वे *विरोध करने के लिए बाध्य हो जाते हैं।
यही आज के परिपेक्ष में शिक्षकों के साथ हो रहा है जब सरकारी खजाने से वेतन अपने वाले सैकड़ो विभागों में आने जाने के लिए कोई जवाबदेही नहीं है ना ही उनकी बायोमेट्रिक हाजिरी है तो फिर यह *जवाबदेही केवल शिक्षकों पर ही क्यों वाकी सभी विभागों में क्यों नहीं?* हमें यहां पर यह समझने की जरूरत है कि यह भेदभावपूर्ण नीति का विरोध है ना कि बायोमेट्रिक हाजिरी का विरोध । देश प्रदेश में शिक्षा के अलावा स्वास्थ्य, प्रशासनिक अधिकारी, सरकारी अस्पतालों व अन्य बहुत सारे ऐसे महकमे है जिनका सीधा प्रभाव आम जनता पर पड़ता है लेकिन वहां पर अभी भी बायोमेट्रिक नहीं है अतः केवल शिक्षकों पर ही बायोमेट्रिक को लागू करना यह उनके प्रति हो रहे भेदभाव का विरोध है इस प्रकार की नीति में भेदभाव क्यों?
सोशल मीडिया पर सरकारी शिक्षकों के विरुद्ध अभियान चल रहा है जिसमे शिक्षकों के प्रति कटाक्ष* करने वाले लोगों को समझना चाहिए क्या सिर्फ शिक्षक ही सरकारी सैलरी ले रहे हैं बाकी अन्य नही? मैं एक शिक्षक तो नहीं लेकिन हमे उनकी पीड़ा को समझने की जरूरत है।